सच्चाई यह है कि कितनी और कब संभोग किया जाए, इसके लिए कोई नियम नहीं बनाया जा सकता। यह बात आप अच्छी तरह से समझ लें कि संभोग तो एक शारीरिक भूख है और इसे तभी किया जाना चाहिए, जब स्त्राी पुरूष दोनों इसका पूर्ण आनन्द उठाकर सन्तुष्ट होने की इच्छा मन में रखते हों। कितनी बार संभोग किया जाये यह इस बात पर निर्भर करता है कि संभोग करने के बाद पति-पत्नी को शारीरिक आनन्द मिलने के साथ-साथ मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है या नहीं?वास्तविकता यह है कि पूर्ण आनन्द न मिलने के कारण उनका मानसिक तनाव बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के मानसिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं और कई बार उनके मन में सैक्स के प्रति अरूचि पैदा हो जाती है। यदि पति-पत्नी दोनों को पूर्ण आनन्द मिलता है तो इच्छानुसार, अपनी शारीरिक अवस्था को देखते हुए जितनी बार चाहें संभोग किया जा सकता है। यदि संभोग करने के बाद एक-दूसरे के प्रति उन दोनों में कोई तनाव उत्पन्न होता हो तो उन्हें संभोग करने की संख्या बहुत कम कर देनी चाहिए। इसलिए संभोग करने की संख्या पूरी तरह से पति-पत्नी दोनों की उम्र, खान-पान और संभोग के प्रति रूचि पर ही निर्भर करती है। नवविवाहित जोडे़ और 25-30 वर्ष की अवस्था में लोग अधिक संभोग करते हैं और ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती जाती है उसके साथ ही गृहस्थी की जिम्मेदारियां बढ़ने पर प्रायः लोगों की रूचि संभोग के प्रति कम होती जाती है। लेकिन कई पति-पत्नी काफी उम्र हो जाने के बाद भी संभोग का वास्तविक आनन्द प्राप्त करते रहते हैं और उनके स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए इस विषय में पति-पत्नी स्वयं ही निर्णय ले सकते हैं कि कब संभोग किया जाना चाहिए तथा कितनी संख्या में करना चाहिए, जिससे उनके स्वास्थ्य पर कुछ बुरा प्रभाव न पड़े। संतुष्टि यदि एक ही बार में मिल जाए तो बार-बार संभोग न करें।
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