हस्तमैथुन एक ऐसा नशा है जिसे व्यक्ति मन से चाहते हुए भी आसानी से नहीं छोड़ पाता। ऐसी बात नहीं है कि हस्तमैथुन की आदत केवल युवकों को ही होती है, यह लत तो सर्वव्यापी है, इस आदत के शिकार वह पुरूष भी हैं जो अपनी पत्नी से दूर रहकर नौकरी या कामकाज करते है जिनमें मजदूर से लेकर टूरिंग एजेन्ट, पुलिस व सेना के जवान भी शामिल हैं। यह बात तो सौ फीसदी सच है कि जिस तरह पानी किसी बगीचे में हरियाली लाकर बगीचे की शोभा बढ़ाता है, उसी तरह वीर्य भी शरीर की वास्तविक शोभा है, जिसे लोग हस्तमैथुन करके सुखा देते हैं। वीर्य से शरीर फौलाद की तरह पुष्ट बनता है, चेहरे की रौनक व दिल-दिमाग की ताकत बढ़ती है, पाचन शक्ति ठीक बनी रहती है, खाया-पिया शरीर को लगता है एवं शरीर में शक्ति-स्फूर्ति का संचार बना रहता है। वीर्य ही शरीर को निरोग व तन्दरूस्त रखता है। यदि हर व्यक्ति इसकी सुरक्षा व कद्र करनी सीख जाए तो हम यह पूरे दावे के साथ कह सकते हैं कि उन्हें जिन्दगी में शारीरिक व मर्दाना कमजोरी का सामना नहीं करना पड़ेगा। वीर्य की फिजूल में बर्बादी होने से पूरे शरीर का विकास ठप्प पड़ जाता है। व्यक्ति तरह-तरह के रोगों व कमजोरियों से घिर जाता है, उसकी कुदरती सैक्स शक्ति व इच्छा घट जाती है। हस्तमैथुन से बनी कमजोरियां वृद्वावस्था तक भी पीछा नहीं छोड़ती, लिंग की त्वचा काली व झुर्रिदार हो जाती है, नसें निर्बल होकर ढ़ीली पड़ जाती हैं तथा नीली-नीली नसें लिंग पर उभर आती हैं। लिंग में पतलापन, टेढ़ापन व सिकुड़ापन की विकृति बन जाती है, अण्डकोष ज्यादा लटक जाते हैं। हस्तमैथुन करने वाले व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है, छोटी-छोटी बात पर क्रोध आ जाता है, चलते-चलते या थोड़ा सा वजन उठाने पर सांस फूल जाती है तथा चक्कर व कमजोरी की शिकायत बन जाती है। हमारी आपको यही नेक सलाह है कि आप अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति व मजबूत इरादे से हस्तमैथुन की आदत पर काबू पाएं। हम इस आदत से उत्पन्न समस्त कमजोरियों को दूर करके आपकी हस्तमैथुन की आदत को छुड़ाने में पूरी सहायता करेंगे। हस्तमैथुन का बुरा प्रभाव सभी अंगों पर पड़ता है विशेषतः (गुप्त इन्द्री) लिंग पर।
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