मैथुन की इच्छा के बिना मल-मूत्र त्याग करते समय निकलने वाली वीर्य की लार अथवा बूंदों को धातु रोग कहते हैं।
अत्यधिक स्त्री सहवास, हस्तमैथुन तथा अनियमित जीवनशैली के कारण खान-पान के दूषित होने से यह रोग हो जाया करता है। दिनभर बैठे रहने या अधिक सोते रहने से, शक्ति एवं सामथ्र्य से अधिक परिश्रम, मिर्च खटाई एवं तीखी वस्तुओं का अधिक सेवन, पाचन शक्ति की दुर्बलता, सिगरेट, तम्बाकू, चरस, भाँग, गांजा, माँस आदि तथा ऐसे तामसिक भोज्य पदार्थ जो वात और पित्त को बढ़ाने वाले हों, उनको प्रयोग में लाने से धातु रोग हो जाता है।
रोगी के गंदे विचार, उत्तेजक वस्तुओं का खानपान, वीर्य में गर्मी की अधिकता, वीर्य का पतलापन, वीर्य की अधिकता, वीर्य की थैलियों में ऐंठन, हस्तमैथुन, गुदामैथुन, मैथुन की अधिकता, विभिन्न स्त्रियों से सेक्स करना, अधिक साइकिल चलाना, स्वप्नदोष की अधिकता, पेट में कीड़े, लंबे समय तक सेक्स न करना, वृक्कों की कमजोरी, कब्ज़, बवासीर, पथरी, फंगस संक्रमण धातु रोग के कारण होते हैं।
खाने का सही से पाचन न होना, खाने-पीने की वस्तुओं से अरूचि, जी मिचलाना, निंद्रा की अधिकता, शरीर में आलस्य का बना रहना, खांसी, मसाने व मूत्र मार्ग में दर्द, हरारत, जलन, प्यास, खट्टी डकारें आना, सुस्ती, कंठ में पीड़ा, भोजन में अरूचि, नींद की कमी, सिर दर्द व श्वास खांसी की शिकायत होना आदि लक्षण होते हैं। दिल दिमाग को कमजोर करने वाला धातु रोग होता है।
वात-पित्त और कफ से दूषित होकर चिकने, गाढ़े, सफेद, लेसदार जैसे मलों को साथ लेता हुआ मूत्र जब अनेक रूपों व रंगों में शरीर से बाहर निकलता है, यह धातु रोग की मुख्य पहचान है।
यह शिकायत बहुत ही दुखदायी व मर्दाना शक्ति-तन्दुरूस्ती को खोखला बना देने वाली होती है। धातु रोग में लिंग की नसों में कमजोरी बन जाने से तथा वीर्य पतला हो जाने से, पेशाब के साथ वीर्य घुलकर आने लगता है जो दिखाई भी नहीं देता, लेकिन कमजोरी इतनी बढ़ जाती है कि चलते-फिरते चक्कर आने एवं सांस फूलने की शिकायत बन जाती है। मुंह में खुश्की सी आती रहती है, कामकाज में थकावट जल्दी हो जाती है, शरीर का वजन घटने लगता है, टांगों, पिंडलियों व कमर में दर्द रहने लगता है तथा चेहरे की रौनक व सुन्दरता समाप्त हो जाती है।
धातु रोग के रोगी को शीघ्रपतन होना भी स्वाभाविक है। रोगी दुर्बल, सुस्त एवं साहसहीन हो जाता है। उसे स्नायुविक एवं मानसिक दुर्बलता भी हो जाती है, रोगी की आंखों के नीचे काले-काले खड्ढे पढ़ जाया करते हैं, मर्दाना शक्ति घट जाती है।
धातु रोग से निराश व परेशान भाईयों को हमारी यह नेक सलाह है कि वे इधर-उधर के बेअसर नीम-हकीमी इलाजों के चक्कर में न उलझें तथा अपनी शारीरिक व मर्दाना शक्ति तन्दरूस्ती को कमजोर बनाने वाली इस दुखदायी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए सही सटीक इलाज लें, ताकि उनकी ताकत व जवानी का असली खजाना वीर्य उनके शरीर में ही सुरक्षित रहे।
प्र. 1) धातु रोग कितने प्रकार के होते हैं?
धातु रोग मुख्यतः 3 प्रकार के होते हैं-
प्र. 3) क्या धातु रोग का इलाज संभव है?
जी बिल्कुल, धातु रोग का इलाज संभव है। वैसे भी आजकल धातु रोग होना एक आम समस्या है। इससे आपको घबराने या डरने की कोई जरूरत नहीं है। आप निश्चिंत होकर इलाज व परामर्श के लिए हमसे मिल सकते हैं।
प्र. 4) धातु रोग को कैसे रोक सकते हैं?
निम्न कदम उठाकर धातु रोग को रोका जा सकता है -
प्र. 5) धातु रोग की समस्या से कैसे निपटें?
धातु रोग की समस्या से निपटने का एक मात्र तरीका सही सटीक धात की दवा करवाना ही है, क्योंकि यह रोग कई प्रकार का होता है इसलिए तर्जुबेकार आयुर्वेदिक सेक्सोलाॅजिस्ट से ही धात की दवा करवायें।
प्र. 5) धातु रोग बार-बार होने वाला रोग तो नहीं है?
नहीं, धातु रोग बार-बार होने वाला रोग नहीं है। यदि संयमित जीवन शैली योग व्यायाम को निरंतर किया जाये और तामसिक आहार-विहार से बचा जाये, तो यह फिर से नहीं होता।
प्र. 6) धातु रोग की समस्या के लिए टिप्स:
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